तर्ज,घर आजा परदेशी तेरी मेरी एक जिन्दडी
परणीजन री उम्र निकल गई भाएला मारे टोना।हाथ दिखा लियो चालीसों में ना कोई बाबू सोना।अबकी सावा फेर निकालज्ञो ना कोई सरपन आयो।कद हाेसी या प्री वेडिंग और कद बैठेगी मायो।के अब मने परनाओ,के अब मने परनाओ,के अब मने परनाओ,के अब मने परनाओ,
पहली रे यो अकड़ में हूतो मन पसंद ही लास्यूं। छोरी के घर वाला देखो राजी नहीं था म्हासु। बा पहली परनीजगी में तो आज भी रह गयो कुंवारो। बिरे ब्याह में पुरुसारों अब नंबर लाग्यो म्हारो।के अब मने परनाओ,के अब मने परनाओ,के अब मने परनाओ,के अब मने परनाओ,
माथे में म्हारे धोला आया करण लाग्यो डाई। खूब करी में सवामणी फिर भी ना हुई सगाई।दिन चढ़या घोड़ी चढ़ देखूं कद जावे तन्हाई।कद हटसी या भिंत आगली कह्वे छोटा भाई।के अब मने परनाओ,के अब मने परनाओ,के अब मने परनाओ,के अब मने परनाओ,
मामी मासी माना करियो ना पड़ ईरे लारे।में बि टेम थो फुल फॉर्म में बा साग थी म्हारे। जद सु ठा पाडियो में देखूं बीने म्हारा बायोडाटा। पट्टे पर बैठया बैठ्या ने कर गई मने टाटा।के अब मने परनाओ,के अब मने परनाओ,के अब मने परनाओ,के अब मने परनाओ,
के अब मने परनाओ,के अब मने परनाओ,के अब मने परनाओ,के अब मने परनाओ,