पणघट को रे श्याम बड़ो ही रसियो रे
पणघट को।बड़ो ही रसियो रे कान्हो मन बसियो रे पणघट को।
गाछा की ओट छिप्यो रे मन मोहन
अरे गोपियाँ ने रोज दिखाव तसियो रे
पणघट को।पणघट को रे श्याम बड़ो ही रसियो रे पणघट को।
सब रे सखियाँ तो जळ भरणे आयी रे
अरे मन मोहन में बांको मन बसियो रे
पणघट को।पणघट को रे श्याम बड़ो ही रसियो रे पणघट को।
हंस हंस मीठी रे मीठी बात बणाव रे
अरे मटकी तो फोड़के रे श्याम हसियों रे
पणघट को।पणघट को रे श्याम बड़ो ही रसियो रे पणघट को।
पणघट को रे श्याम बड़ो ही रसियो रे
पणघट को।
चंद्र सखी शरणागत आयी रे
अरे चरण कमल में म्हारो चित्त बसियो रे
पणघट को।
पणघट को रे श्याम बड़ो ही रसियो रे
पणघट को।