तर्ज,उमराव थारी बोली
करणी जी कृपा कीजो मैं तो आया थारे द्वार।किनियानी ओ महारानी म्हारी मां। दादाली दर्शन दिजो मैं तो आया थारे द्वार।।किनियानी ओ महारानी म्हारी मां।
पुरण मधुवन पात ज्यों राता पाक्या बोर।बन में बोले कोयली मधुरा बोले मोर।मेहारी थारी ओरण प्यारी लागे म्हारी मां।।किनियानी ओ महारानी म्हारी मां।
करणी थरको के लियो जद मोटी बनगी धार।दही घमोद्यो मावड़ी जद लूनिया भरे शीला। मेहारि थारी मेहर तो निराली म्हारी मां।।किनियानी ओ महारानी म्हारी मां।
काला धोला काबला जत्थे काबा बेशुमार।फिरनी में फिरता फिरे बे करनी रे दरबार।करनी जी थारो मंदिर प्यारो लागे म्हारी मां।।किनियानी ओ महारानी म्हारी मां।
रिद्धि सु सिद्धि बनया तरणी सु करणी। जद सागर री विनती सुनज्यो सुख करनी। करणी जी थारी सूरत प्यारी लागे मारी मां।।किनियानी ओ महारानी म्हारी मां।