नथ म्हारी दीज्यो जी गिरधारी।
साँवरिया थाने अरज करे छै राधा प्यारी , नथ म्हारी दीज्यो जी गिरधारी।
बिन्दरावन में रास रच्यो है , रास रमण कुण जासी म्हारा सांवरा।रमता खेलता नथ म्हारी गम गई घणो ओलमो आसी। नथ म्हारी दीज्यो जी गिरधारी।
ग्वाल-बाल मिल ढूंढ़न लाग्या ,सखियाँ भई उदासी म्हारा साँवरा।
ए जी नथ म्हारी नहीं मिली तो, गाया री दलाली में जासी। नथ म्हारी दीज्यो जी गिरधारी।
म्हें तो म्हारे पीहर जास्याँ, बाबुल और घडासी म्हारा साँवरा ।खारा समुंदर रा मोतीड़ा मंगास्या,
सोना रो तार पुवास्या। नथ म्हारी दीज्यो जी गिरधारी।
थे मत जानो आ बरजोरी, थारो मान घटस्यां म्हारा साँवरा ,चन्द्रसखी भज बाल कृष्ण छबि, घर बैंठया नथ आसी। नथ म्हारी दीज्यो जी गिरधारी।