तर्ज,म्हारी घूमर
नानी बाई ने नरसी समझावे बार-बार। सांवल बिरो ल्यासी मायरो, ओ बाई तेरो सांवल बिरो ल्यासी मायरो।
धीर क्यों छोड़े बेटी क्यों घबरावे।राख भरोसो तेरो सांवला सा आवे। ओ बेटी क्यों कर राखी जीवडे ने तूं उदास।सांवल बिरो ल्यासी मायरो, ओ बाई तेरो सांवल बिरो ल्यासी मायरो।
तेरी भोजाई भामा रुकमण भी आसी।जो कुछ लिखवाई चिजां सगली वो लयासी।मैने सगा की चिट्ठी भेजी सांवरीये के पास।सांवल बिरो ल्यासी मायरो, ओ बाई तेरो सांवल बिरो ल्यासी मायरो।
नानी बाई ने नरसी समझावे बार-बार। सांवल बिरो ल्यासी मायरो, ओ बाई तेरो सांवल बिरो ल्यासी मायरो।