किशोरी तोरे, चरनन की बलि जाऊँ । जिन युग-चरण अरुणिमा उपमा, पचिहारी नहिं पाऊँ।
जपा गुलाल प्रवाल आदि की, उपमा देत लजाऊँ ।मृदुता में गुलाब नवनी की, समता लखि न सकाऊँ।
जिन चरनन को चापत हरि नित, का महिमा मैं गाउँ यह ‘कृपालु’ की चाह रैन दिन, चरनन ध्यान लगाऊँ।
किशोरी तोरे, चरनन की बलि जाऊँ । जिन युग-चरण अरुणिमा उपमा, पचिहारी नहिं पाऊँ।