गौरा जी म्हारी विनती सुनो जी धर ध्यान ।
चैत्र सुदी तीज चौथ ने पूजे सकल जहान।
गणगोरां पर दरशन दीजो, बेगा सा घर आन।
सोलह दिन सब थाने पूजे,सखी सहेल्या आन।
केसर चन्दन इत्र लगावा ,गजरा गल दर मियान।
घेवर गौरस भोग लगावां ,नाना विधि पकवान।
आरती करके ढोक लगावां ,निरखा रूप महान ।
राधा जी, सीता जी पूज के पाया वर भगवान।
“भगवती सहाय “ने दरश करादयो छैल छबिला कान।