तर्ज-सिंदूर चढ़ाने से सब काम होता है
हम सेवादारों की तो, तुमसे पहचान है, अपने लिये तो, खाटू ही चारो धाम है, अपने लिये तो, खाटू ही चारों धाम है, हम सेवादारों की तो, तुमसे पहचान है।
कैसी भी हो मुश्किल, प्रभु हम ना डरते है,
तेरे नाम से बन जाता,हम नाम तेरा लेकर, मंजिल को बढ़ते है, बिगड़ा हर काम है, अपने लिये तो, खाटू ही चारों धाम है, हम सेवादारों की तो, तुमसे पहचान है ।।
अपने लिये तो, खाटू ही चारों धाम है, हम सेवादारों की तो, तुमसे पहचान है।
बाग तुम्हारा है, तेरी फुलवारी है, तू सेठ हमारा है, हम तेरे पुजारी है, तेरे नाम से ही बाबा, अपना सम्मान है, अपने लिये तो, खाटू ही चारों धाम है, हम सेवादारों की तो, तुमसे पहचान है।
तेरी कृपा है श्याम, मुझे कमी नही है श्याम, मुझे और किसी की अब, परवाह नही है श्याम, एक श्याम नाम से जीवन, अपना आसान है, अपने लिये तो, खाटू ही चारों धाम है, हम सेवादारों की तो, तुमसे पहचान है।
कोई अच्छे कर्म मेरे, ऐसा दरबार मिला, जहाँ झुकती सारी दुनिया, मुझे उनका प्यार मिला, गोदी में बिठा के रखते, यहाँ ‘श्याम’ को श्याम है, अपने लिये तो, खाटू ही चारों धाम है, हम सेवादारों की तो, तुमसे पहचान है।
हम सेवादारों की तो, तुमसे पहचान है, अपने लिये तो, खाटू ही चारो धाम है, अपने लिये तो, खाटू ही चारों धाम है, हम सेवादारों की तो, तुमसे पहचान है।