तर्ज,एक प्यार का नगमा है
रोती हुई आंखों को मेरे श्याम हंसाते हैं।जब कोई नहीं आता मेरे श्याम ही आते है।
राहों के अंधेरे से हैरान नहीं होना। तेरे साथ है सांवरिया परेशान नहीं होना।कभी वो ही उठाएंगे,जो आज गिराते है। जब कोई नहीं आता मेरे श्याम ही आते है।
जीन नजरों को बाबा एक आंख ना भाता था। करते थे सभी पर्दा जब मैं दिख जाता था। अब वही गले लग कर अपनापन जताते हैं।जब कोई नहीं आता मेरे श्याम ही आते है।
अपनों के सभी रिश्ते फीके पड़ जाते हैं। जब जेब से पैसों के पत्ते झड़ जाते हैं। मतलब के सभी माधव यहां रिश्ता निभाते हैं।
सपने हंसता देखा मेरे घाव नहीं देखे। ऊंचाई दिखी सबको मेरे पांव नहीं दिखे। उस मंजिल को पाने में छाले पड़ जाते हैं। जब कोई नहीं आता मेरे श्याम ही आते है।
रोती हुई आंखों को मेरे श्याम हंसाते हैं।जब कोई नहीं आता मेरे श्याम ही आते है।