तर्ज, उस बांसुरी वाले की
सुन श्याम सांवरिया मेरे, फागुन की मस्ती तेरे, भक्तों पर छाई है। खाटू की माटी में खुशबू अब इत्र की आई है।
बाबा फागुन का मेला भक्तों के मन को भाये। लाखों प्रेमी तेरे दर पर आकर के शीश झुकाए। तू सुनता है उन सब की जिस ने अर्जी लगाई है।खाटू की माटी में खुशबू अब इत्र की आई है।
सुन श्याम सांवरिया मेरे, फागुन की मस्ती तेरे, भक्तों पर छाई है। खाटू की माटी में खुशबू अब इत्र की आई है।
जब फागुन मेला आए भक्तों में खुशियां छाये।।कोई रंग अबीर उड़ाए कोई भर पिचकारी लाए। सब नाच कूद कर बाबा तेरी महिमा गाई है। खाटू की माटी में खुशबू अब इत्र की आई है।
सुन श्याम सांवरिया मेरे, फागुन की मस्ती तेरे, भक्तों पर छाई है। खाटू की माटी में खुशबू अब इत्र की आई है।
भक्तों ने तेरे दर पे जय जय जय कार लगाई।मेरे बाबा खाटू वाले होली खेलन को आए।भक्तों के संग में खेले मेरे श्याम कन्हाई है।खाटू की माटी में खुशबू अब इत्र की आई है।
सुन श्याम सांवरिया मेरे, फागुन की मस्ती तेरे, भक्तों पर छाई है। खाटू की माटी में खुशबू अब इत्र की आई है।