तर्ज, या बाबो सा री लाडली
मस्त महीना फागुनिया को टाबरिया तैयार है। थारे रंग लगावन खातिर यो मनडो बेकरार है।
म्हारे मन में चाव घणो मैं खाटू जावांगा। श्याम के फागण मेला माही नाचा गांवागा।
ई जीवन रो सबसू बड़ो उत्सव है फागुन महीनो,उत्सव है फागुन महीनो।बाबा श्याम सु मिलवा खातिर छोड़ो झूठो झनेलो,छोड़ो झूठो झनेलो।बारह महीना बितयां आवे श्याम रिझावांगा।श्याम के फागण मेला माही नाचा गांवागा।
म्हारे मन में चाव घणो मैं खाटू जावांगा। श्याम के फागण मेला माही नाचा गांवागा।
ऐसो मौको कभी न चुका, दीवानों संसार सारों,दीवानों संसार सारों। फागण मेले महाने बुलायो बाबो लखदातार म्हारो,बाबो लखदातार म्हारो। पैदल चाल निशान उठावा जय कार लगावांगा। श्याम के फागण मेला माही नाचा गांवागा।
म्हारे मन में चाव घणो मैं खाटू जावांगा। श्याम के फागण मेला माही नाचा गांवागा।
श्याम के दर पर आनंद बरसे मिलकर होली खेलांगा,मिलकर होली खेलांगा। सांवरियो भी खुश हो बांटे, भर भर झोली लुटांगा,भर भर झोली लुटांगा।इस फागण के मेले श्याम दर थाने बुलावंगा।श्याम के फागण मेला माही नाचा गांवागा।
म्हारे मन में चाव घणो मैं खाटू जावांगा। श्याम के फागण मेला माही नाचा गांवागा।