मैंने पाए मदन मुरार मुझे हुआ श्याम से प्यार, छम छम नाचूंगी। मैं तन मन दूंगी वार छम छम नाचूंगी।
सुंदर रूप बसा मन मेरे। दूर हुए हैं घोर अंधेरे। उनके प्रेम में मगन हुई में। मोहन आन बसे मन मेरे। मेरे गले प्रीत का हार, मोहन मेरा संसार छम छम नाचूंगी।मैं तन मन दूंगी वार छम छम नाचूंगी।
उनके नाम की ओढ़ी चुनरिया।पैरों में बांधी पायलिया।दर दर डोलू प्रीत तुम्हारी,लोग कहे मुझको बाबरिया।मेरे दिल में उठे हिलोर मेरी श्याम से बंधी है डोर,छम छम नाचूंगी।मैं तन मन दूंगी वार छम छम नाचूंगी।
सांवरिया ने प्रेम लुटाया इस पगली को शरण लगाया। सारे जग से दूर हुई मैं जब से उसने पास बुलाया। जग माया है बेकार, तूं कर सुध अपनी यार छम छम नाचूंगी।मैं तन मन दूंगी वार छम छम नाचूंगी।
अब् दुजी कोई चाह नहीं है दुनिया की परवाह नहीं है। प्रेम डगर पर मोहन मिलते दूजी कोई राह नहीं है। पंकज जाऊं बलिहार पाकर के श्याम का प्यार, छम छम नाचूंगी।मैं तन मन दूंगी वार छम छम नाचूंगी।
मैंने पाए मदन मुरार मुझे हुआ श्याम से प्यार, छम छम नाचूंगी। मैं तन मन दूंगी वार छम छम नाचूंगी।