ये श्याम तूं अपने भगत को कोई नशा कराता जरूर है।ये श्याम तूं अपने भगत को कोई नशा कराता जरूर है।जो भी खाटू जाकर आए उसे हल्का हल्का सुरूर है।
बातें करता बहकी बहकी।उसे परवाह नहीं है जग की।सब उंगली उठाकर बोले ना जाने किसका गरुर है।जो भी खाटू जाकर आए उसे हल्का हल्का सुरूर है।
जो पीकर आता है एकबार।उसे जाना पड़ता सो सो बार।इस नशे के लाखों दीवाने तेरा नशा बड़ा मशहूर है।जो भी खाटू जाकर आए उसे हल्का हल्का सुरूर है।
जाते ही नैन मिलाते हो।शायद नैनो से पिलाते हो।वो नैन हटा ना पाए उसे कर देते मजबूर है।जो भी खाटू जाकर आए उसे हल्का हल्का सुरूर है।
केवल खाटू में पिलाते हो।या घर पर भी भिजवाते हो।क्योंकि घर मेरा बनवारी तेरे खाटू से थोड़ी दूर है।जो भी खाटू जाकर आए उसे हल्का हल्का सुरूर है।
ये श्याम तूं अपने भगत को कोई नशा कराता जरूर है।ये श्याम तूं अपने भगत को कोई नशा कराता जरूर है।जो भी खाटू जाकर आए उसे हल्का हल्का सुरूर है।