लटा खोल बैरागन हो गई। मीरा निकली घर से बाहर कृष्ण कृष्ण बोल के।
उने तज दी महल हवेली है। वा तो घर से चल दी अकेली है। सब तार चली है सिंगार,कृष्ण कृष्ण बोल के।लटा खोल बैरागन हो गई। मीरा निकली घर से बाहर कृष्ण कृष्ण बोल के।
था भगमा बाना गात में। लिया एक एक तारा हाथ में। लेई सुरती गिरधर में तार,कृष्ण कृष्ण बोल के।लटा खोल बैरागन हो गई। मीरा निकली घर से बाहर कृष्ण कृष्ण बोल के।
रास्ते में सत्संग ला रही। वह तो भजन श्याम के गा रही। था सांवरिया से प्यार, कृष्ण कृष्ण बोल के।लटा खोल बैरागन हो गई। मीरा निकली घर से बाहर कृष्ण कृष्ण बोल के।
वृंदावन गलियों में जाए के। रविदास को गुरु बनाये के। पाया जीवन का उन्हें सार,कृष्ण कृष्ण बोल के।लटा खोल बैरागन हो गई। मीरा निकली घर से बाहर कृष्ण कृष्ण बोल के।
रन छोड़कर मंदिर सो गई। मीरा आज गिरधर की हो गई।। मांगेराम छोड़ संसार, कृष्ण कृष्ण बोल के।लटा खोल बैरागन हो गई। मीरा निकली घर से बाहर कृष्ण कृष्ण बोल के।