तर्ज, अरे द्वारपालो कन्हैया से कह दो
जोगी भेष धरकर, नंदी पे चढ़कर,
गौरा को बिहाने, भोलेनाथ आ गए है,
देख देख दूल्हा और बाराती,
राजा हिमाचल मैना घबरा रहे है,
जोगी भेंष धरकर, नंदी पे चढ़कर,
गौरा को बिहाने, भोलेनाथ आ गए है।।
देखकर के दूल्हा सखिया, घबरा गई है,
दौड़ी दौड़ी गौरा के, पास आ गई है,
बोली सखिया जाकर, दुल्हा सौ बरस का,
मुंह से बाहर उसके, दांत आ रहे है,
जोगी भेंष धरकर, नंदी पे चढ़कर,
गौरा को बिहाने, भोलेनाथ आ गए है।।
जोगी भेष धरकर, नंदी पे चढ़कर,
गौरा को बिहाने, भोलेनाथ आ गए है,जोगी भेष धरकर, नंदी पे चढ़कर,
गौरा को बिहाने, भोलेनाथ आ गए है,