कहना मत श्याम किसी से, मैं खाटू आता हूँ,
मांग कर मैं तुझसे अपना घर चलाता हूँ,
कहना मत श्याम किसी से मैं खाटू आता हूँ,
मुझको गैरो की नहीं चिंता अपनों का डर है,
बस यही खौफ मेरे दिल के अंदर है,
अपनों को यो पता चला वो रुला देंगे,
सरे बाजार में मेरी नाव वो उड़ा देंगे,
मुझे जीने नहीं देंगे मेरे अपने ही मुझे,
जैसे तैसे मैं लाज अपनी ये बचता हूँ,
कहना मत श्याम किसी से मैं खाटू आता हूँ,
सब को भरम है मेरे कंधो पे है घर ये चलता है,
मैं जानता हु मेरा फुलवा कैसे पलता है
जो राज ये बना हुआ है वो राज रहने दो,
जो समझते है लोग उन्हें वो समझने दो,
सिवा तुम्हरे किसी को नहीं है इसका पता,
कहा से लाता हु मैं और कहा से खाता हूँ,
कहना मत श्याम किसी से मैं खाटू आता हूँ,
गिरते इंसान को दुनिया नहीं उठाती कभी,
लाज इक बार गई तो वो नहीं आती कभी,
लाज हाथो में तुम्हारे लाज तुम रखना,
आज वादा यही शर्मा से तुम करना,
आने जाने की खबर सब से तुम छुपाओगे,
मैं भी ये बात सभी से प्रभु छुपाता हूँ,
कहना मत श्याम किसी से मैं खाटू आता हूँ,
कहना मत श्याम किसी से, मैं खाटू आता हूँ,
मांग कर मैं तुझसे अपना घर चलाता हूँ,
कहना मत श्याम किसी से मैं खाटू आता हूँ,