ना मंदिर में रहता ना रहता है मकान में, वाह रे भोले नाथ तू तो रहता है शमशान में,वाह रे भोले नाथ तू तो रहता है शमशान में,
हीरे की माला न मोती की माला, अपने गले में हो सर्पों को डाला, ऐसा फकड़ देव हमने देखा न जहां में, वाह रे भोले नाथ तू तो रहता है शमशान में।वाह रे भोले नाथ तू तो रहता है शमशान में,
न तन पे कुरता है न तन पे धोती, सारे बदन पर बस इक लंगोटी, गंगा सिर पे न हो तो तू आये न पहचान में, तू वाह रे भोले नाथ तू तो रहता है शमशान में।वाह रे भोले नाथ तू तो रहता है शमशान में,
ना खाये मेवा ना ही और न ही मिठाई, भांग के नशे में तूने ज़िंदगी बिताई, जिसने जो भी माँगा तूने दे दियां है दान मे।वाह रे भोले नाथ तू तो रहता है शमशान में।वाह रे भोले नाथ तू तो रहता है शमशान में,
ऐसा है देव जो भी मांगो मिलेगा, वनवारी बोल दे ये जो न टले गा, ऐसा चमत्कार भोले है तेरी जुबान में, वाह रे भोले नाथ तू तो रहता है शमशान में।वाह रे भोले नाथ तू तो रहता है शमशान में,