क्यों हम तेरे दीवाने हुवे हमें कुछ भी समझ ना आता है । जितना भी चाहूं सुलझाना उतना ही उलझता जाता है। करता हूं याद तुम्हें इतना हर याद में तेरा नाम लिखा। कुछ तो है ऐसा पागलपन हर एक सांस में तेरा नाम लिखा। देखोगे नजरें मिलाकर तो आंसू पर जैसे श्याम लिखा।
माना में मुझमें अवगुण कई,माया में अटका परिंदा हूं। जाने अनजाने जो भूल हुई मैं उनके लिए शर्मिंदा हूं। देखोगे झांक के जो दिल में हर कतरे पर तेरा नाम लिखा।कुछ तो है ऐसा पागलपन हर एक सांस में तेरा नाम लिखा।
कुछ अच्छे कर्म किए होंगे उसका ही फल यह पाया है। मेरे जैसे पापी को भी पलकों पर तुमने बिठाया है। केहता है मोहित बस इतना हर शब्द पर धन्यवाद लिखा।कुछ तो है ऐसा पागलपन हर एक सांस में तेरा नाम लिखा।
क्यों हम तेरे दीवाने हुवे हमें कुछ भी समझ ना आता है । जितना भी चाहूं सुलझाना उतना ही उलझता जाता है। करता हूं याद तुम्हें इतना हर याद में तेरा नाम लिखा। कुछ तो है ऐसा पागलपन हर एक सांस में तेरा नाम लिखा। देखोगे नजरें मिलाकर तो आंसू पर जैसे श्याम लिखा।