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विविध भजन

Mat bure karm kar bande warna pachtayega,मत बुरे कर्म कर बन्दे,वरना पछताएगा।

मत बुरे कर्म कर बन्दे,वरना पछताएगा।

मत बुरे कर्म कर बन्दे,वरना पछताएगा।
भगवान की नजर से, ना बच पाएगा।
अरे ओ प्राणी, मत कर नादानी।।



जब जाएगा तुं बन्दे, यम के दरबार में।
ना बने हिमाती तेरा, कोई संसार में।
ये कुटुम्ब कबीला तेरा, ना तुझे बचाएगा।।भगवान की नजर से, ना बच पाएगा।
अरे ओ प्राणी, मत कर नादानी।।



जिस के लिये करता है, तुं छल और बेईमानी।
कोई नहीं है तेरा, ये बात न पहचानी।
अपने कर्मों का फल तुं,खुद ही पाएगा।।भगवान की नजर से, ना बच पाएगा।
अरे ओ प्राणी, मत कर नादानी।।

मत बुरे कर्म कर बन्दे,वरना पछताएगा।
भगवान की नजर से, ना बच पाएगा।
अरे ओ प्राणी, मत कर नादानी।।

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