तर्ज- तेरे होंठो के दो फूल प्यारे
दूल्हा बने भोलेनाथ जी हमारे, चली बारात गौरा जी के द्वारे, इस दूल्हे पे जग है दीवाना, दीवाना, दूल्हा बने भोलेंनाथ जी हमारे, चली बारात गौरा जी के द्वारे ।।
ना है रत्न आभूषण तन पे, बलिहारी जाऊं भोलेपन पे, चमके माथे पर चंदा, आए शुभ दिन ये शिव की लगन के, सर्पो के हार, कैसा अजब श्रृंगार, ऐसा बन्ना किसी ने देखा ना, देखा ना, दूल्हा बने भोलेंनाथ जी हमारे, चली बारात गौरा जी के द्वारे ।।
लम्बी लम्बी जटाओ का सेहरा, कैसा प्यारा विवाह का नजारा, ध्वनि शंख नाद ही गूंजे, संग चले गणो का पहरा, होके नंदी पे सवार, चले हिमाचल के द्वार, हुआ रोशन ये तब ही जग सारा, दूल्हा बने भोलेंनाथ जी हमारे, चली बारात गौरा जी के द्वारे।।
चले होके विदा जो बाराती, गौरा को माँ समझाती, जा बेटी सुखी तू रहना, रहे अमर सुहाग की जोड़ी, है बाराती बेशुमार, दिए सबको उपहार,झूमे गण सारे पाके नजराना, दूल्हा बने भोलेंनाथ जी हमारे, चली बारात गौरा जी के द्वारे ।।
दूल्हा बने भोलेनाथ जी हमारे, चली बारात गौरा जी के द्वारे, इस दूल्हे पे जग है दीवाना, दीवाना, दूल्हा बने भोलेंनाथ जी हमारे, चली बारात गौरा जी के द्वारे ।।