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विविध भजन

Meri jindagi ke Malik kahi tum badan na jana,मेरी ज़िन्दगी के मालिक कहीं तुम बदल ना जाना

मेरी ज़िन्दगी के मालिक कहीं तुम बदल ना जाना।

तर्ज, बाबुल की दुआएं लेती जा

दुनिया बदल गई है बदल गया ज़माना
मेरी ज़िन्दगी के मालिक कहीं तुम बदल ना जाना।


मैं हार के दर तेरे आया हूँ मेरा दूजा कोई सहारा नहीं।मैं निर्बल निर्गुण दीं प्रभु मेरी भूलों को बिसराओ हरी,मैं हार के दर तेरे आया हूँ।

मैं भूल के सब कुछ बैठा हूँ अब आस तुझी से श्याम मेरी।
मैं तो हारा हुआ तेरा दास प्रभु मेरी जीत तुझी पे श्याम टिकी।नहीं हार मुझे कभी छू पाए एहसान तू करदे श्याम धणी
मैं निर्बल निर्गुण दीं प्रभु मेरी भूलों को बिसराओ हरी।मैं हार के दर तेरे आया हु।



सपनो में भी ना तुम आते हो ना ही अपना मुझे बनाते हो।
मन जनम जनम से प्यासा हूँ मुझे फिर काहे तरसाते हो
मेरी आँख के आंसू बन जाओ हर बूँद से प्यास बुझे मेरी
मैं निर्बल निर्गुण दीं प्रभु मेरी भूलों को बिसराओ हरी
मैं हार के दर तेरे आया हूँ ।



मुझे ना ठुकराना गिरधारी तेरे बिन मेरा जीवन सूना है
मैं सेवक तू दातार प्रभु तेरे हाथ में जीवन मेरा है
पंकज तेरी राह निहारूँगा मुझे थाम ले आकर बनवारी
मैं निर्बल निर्गुण दीं प्रभु मेरी भूलों को बिसराओ हरी
मैं हार के दर तेरे आया हूँ

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