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निर्गुण भजन nirgun Bhajan

Pinjariyo pinjariyo re pakshi kayi nirkhe,पिंजरियो पिंजरियो रे पक्षी कई निर्खे

पिंजरियो पिंजरियो रे पक्षी कई निर्खे।

पिंजरियो पिंजरियो रे पक्षी कई निर्खे।रे पक्षी कई निर्खे। सतसंगत में चाल उठे इमरत बरसे।

हाड मास रो बनो पिंजरो ऊपर लगा दी काटी। घाट घाट री माटी तू तो पाल बना दी चाटी। थारो बोरा सो पिंजरियों,पक्षी कूट रो पिंजरियो,पक्षी काई निरखे।पक्षी काई निरखे।सतसंगत में चाल उठे इमरत बरसे।पिंजरियो पिंजरियो रे पक्षी।पिंजरियो पिंजरियो रे पक्षी

धन जोबन में भूल गयो रे कदर कद नहीं जानी। थारी मारी करता करता उमर बीती सारी। थारा आंगला मार्ग ने, रे पंछी आगला मार्ग ने, पंछी साफ कर ले। पंछी साफ कर ले। सतसंगत में चाल उठे इमरत बरसे।पिंजरियो पिंजरियो रे पक्षी,पिंजरियो पिंजरियो रे पक्षी

पिनजरिया में बैठो रे पंछी दुखड़ा अपना गावे। इन पिंजरीयारी गाथा पढ भी कोई पढ़ ना पावे। थारा मायला मनडा ने रे पंछी मायला मनडा ने तूं तो त्यार कर ले।तूं तो त्यार कर ले।सतसंगत में चाल उठे इमरत बरसे।पिंजरियो पिंजरियो रे पक्षी,पिंजरियो पिंजरियो रे पक्षी।

पिनजरिया में बैठो रे पंछी आयो कांकरो खारो। कहत कबीर सुनो भाई साधु रह गयो विंद कुवारो।थारे मारिया पिछे अरे तने याद करसी, रे थारे लड्डू करसी रे बेटा बेटा करसी।सतसंगत में चाल उठे इमरत बरसे।पिंजरियो पिंजरियो रे पक्षी,पिंजरियो पिंजरियो रे पक्षी

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