माटी के पुतले इतना ना इतरा के चल। तेरे जीवन का कोई भरोसा नहीं बूंद पानी के गिरते ही घुल जाएगा ।कच्चे बर्तन का कोई भरोसा नहीं। माटी के पुतले…..
मेरा मेरा ना कर कुछ यहां ना तेरा। चार दिन का जहां में बसेरा, तेरा पिंजरे का पंछी एक दिन निकल जाएगा, मौत सौतन का कोई भरोसा नहीं।माटी के पुतले……
सारा संसार यह स्वार्थ से भरा ,इस के लालच में हरगिज दीवाने ना आ, गैर तो गैर अपने भी देंगे दगा। दोस्त दुश्मन का कोई भरोसा नहीं, माटी के पुतले……
माया ठगनी अदाएं दिखाती फिरे, मोह माया में सबको फंसाती फिरे ,माया ने जाने कितनों को दी है दगा।माया का कोई भरोसा नहीं।माटी के पुतले
माटी के पुतले इतना ना इतरा के चल। तेरे जीवन का कोई भरोसा नहीं बूंद पानी के गिरते ही घुल जाएगा ।कच्चे बर्तन का कोई भरोसा नहीं। माटी के पुतले…..