एक चिड़िया के दो बच्चे थे, वे दूजी चीड़ी ने मार दिये।एक चिड़िया के दो बच्चे थे, वे दूजी चीड़ी ने मार दिए।
मैं मर गयी तो मेरे बच्चों ने मत ना दुःख भरतार दिए।
एक चिड़े की चिड़िया मरगी, दूजी लाया ब्या के।
देख सोंप के बच्चों ने, वा बैठ गयी गम खा के।
चिड़ा घर ते चला गया, फेर समझा और बुझा के।
उस पापन ने वो दोनों बच्चे, तले गेर दिए ठा के।
चोंच मार के घायल कर दिए, चिड़िया ने जुलम गुजार दिए।एक चिड़िया के दो बच्चे थे, वे दूजी चीड़ी ने मार दिए।
मैं मर गयी तो मेरे बच्चों ने मत ना दुःख भरतार दिए।
मैं मर जा तो मेरे पिया तू, दूजा ब्या करवायिए ना।
चाहे इन्दर की हूर मिले, पर बीर दूसरी लाईये ना।
दो बेटे तेरे दिए राम ने, और तन्नै कुछ चायिए ना।
रूप – बसंत की जोड़ी ने तू, कदे भी धमकायिये ना।
उढ़ा पराह और नुहा धूवा के, कर उनका श्रृंगार दिए।एक चिड़िया के दो बच्चे थे, वे दूजी चीड़ी ने मार दिए।मैं मर गयी तो मेरे बच्चों ने मत ना दुःख भरतार दिए।
याणे से की माँ मर जावे, धक्के खाते फिरा करे।
कोई घुड़का दे कोई धमका दे, दुःख विपदा में घिरा करे।नों करोड़ का लाल रेत में, बिन जोहरी के ज़रा करे।पाप की नैया अधम डूब जा, धर्म के बेड़े तिरा करे।मरी हुई ने मन्ने याद करे तो, ला छाती के पुचकार दिए।एक चिड़िया के दो बच्चे थे, वे दूजी चीड़ी ने मार दिए।
मैं मर गयी तो मेरे बच्चों ने मत ना दुःख भरतार दिए।
मेरा फ़र्ज़ से समझावन का,ना चलती तदबीर पिया।
रोया भी ना जाता मेरे, गया सुख नैन का नीर पिया।
मेरी करनी मेरे आगे आगी, आगे तेरी तक़दीर पिया।
लख्मीचंद तू मान कहे की, आ लिया समय आखिर पिया।मांगे राम ते इतनी कह के, रानी ने पैर पसार दिए।एक चिड़िया के दो बच्चे थे, वे दूजी चीड़ी ने मार दिए।
मैं मर गयी तो मेरे बच्चों ने मत ना दुःख भरतार दिए।