तर्ज, तेरे चेहरे से नजर नहीं हटती
तेरी दुनिया में जो भी चला आता पर यहां से नहीं जाना चाहता। पर यहां से नहीं जाना चाहता।
दिन रात जूझ रहे संकट तेरे ते, पूछ लो कोठी बंगले गूंगे और बहरे ते। इन पैरा ते चला नहीं जाता,पर यहां से नहीं जाना चाहता। पर यहां से नहीं जाना चाहता।
तेरी दुनिया में जो भी चला आता पर यहां से नहीं जाना चाहता। पर यहां से नहीं जाना चाहता।
पड़या पड़या घुल रहा से हारी बीमारी में।कसर ना छोड़ रहा अपनी होशियारी में। लाचारी में कुछ कर नहीं पाता, पर यहां से नहीं जाना चाहता। पर यहां से नहीं जाना चाहता।
तेरी दुनिया में जो भी चला आता पर यहां से नहीं जाना चाहता। पर यहां से नहीं जाना चाहता।
चाहे दुख में सारा जन्म गुजरता। मरने से तो वह भी डरता। फिरता गलियों में धक्के खाता, पर यहां से नहीं जाना चाहता। पर यहां से नहीं जाना चाहता।
तेरी दुनिया में जो भी चला आता पर यहां से नहीं जाना चाहता। पर यहां से नहीं जाना चाहता।
साई जगन्नाथ तेरा कहां है ठिकाना से। सदा रहत सबने पढ़े समझाना से। सबने जाना से फिर तू क्यों घबराता , पर यहां से नहीं जाना चाहता। पर यहां से नहीं जाना चाहता।
तेरी दुनिया में जो भी चला आता पर यहां से नहीं जाना चाहता। पर यहां से नहीं जाना चाहता।