श्यामा प्रीत मैं तोसे लगा बैठा हूं।
हे बाबा श्याम जिंदगी तेरे नाम
दूर से आया बाबा धाम तेरे खाटू,
दूर से आया बाबा धाम तेरे खाटू,
दर्द ना कहूं मैं किसी से बस तोसे बांटू,
दर्द ना कहूं मैं किसी से बस तोसे बांटू।श्यामा प्रीत मैं तोसे लगा बैठा हूं।
मुझको सताए जो आ के कभी दर्द,
बस नाम है तेरा लेना,
गम मेरे हर के तू आ मेरे बाबा,
बस खुशिया मुझको तू देना,
तेरा ही नाम ले कर मैं बाबा,
रोज चलता रहता हूं
श्यामा प्रीत मैं तोसे लगा बैठा हूं,
श्यामा प्रीत मैं तोसे लगा बैठा हूं,
बाबा प्रीत मैं तोसे लगा बैठा हूं ।
शीश जो मांगा हरि ने,
एक बार में दे डाला,
कलयुग में रूप हरि का
ले के संसार को पाला,
हारे का तुम ही केवल,
हो एक सहारा,
जिसका ना कोई जगत में,
श्याम हमारा
तेरी बदौलत हर कष्ट रोज,
हंसते हुए ही तो सहता हूं,
श्यामा प्रीत मैं तोसेलगा बैठा हूं,
श्यामा प्रीत मैं तोसे लगा बैठा हूं,
बाबा प्रीत मैं तोसे लगा बैठा हूं।
तीन बाण धारी हारे, युद्ध के सहाये
शीश से बाबा तुम, शिरगुल कहलाये
माता मोरब के हो राज दुलारे,
कृष्ण कन्हैया के भी, हो अति प्यारे
एक तुम ही श्यामा मेरे हो,
बाकी सबको पराया मैं कहता हूं,
श्यामा प्रीत मैं तोसे लगा बैठा हूं,
श्यामा प्रीत मैं तोसे लगा बैठा हूं
बाबा प्रीत मैं तोसे लगा बैठा हूं ।