घबराए क्युं बावरी आएंगे चितचोर
नंदनंदन ब्रिज चंद्र जूं ये रसिया नवल किशोर।
रसिया नवल किशोर नीलमणि कुंजबिहारी
करुणानिधि वेग सुनेगे पीड़ हमारी।
देंगे दर्शन दान बैठी रहूं दीप जलाये
आते होंगे श्याम बावरी क्यूँ घबराए।
आशा रख पगली आएंगे
क्यों धीरज खोये जाती हैं
क्यों मन को जलाये जाती है
हरि आएंगे प्रभु आएंगे
आशा रख पगली आएंगे।
कुछ अदा निराली शान लिए
अंदाज़ भरी पहचान लिए
कुछ सुंदरता का मान लिए
कुछ नखरों का तूफान लिए
हंसते हंसते दिल छीनेंगे
भूली हुई याद दिलाएंगे
आशा रख पगली आएंगे।
मैया होगी लोरी होगी
माखन होगा चोरी होगी
कारे होंगे गोरी होगी
छीना झपटी बरजोरी होगी
गलियों दधि माखन बिखरेगा
ग्वाले मन मौज उड़ाएंगे
आशा रख पगली आएंगे।
रिमझिम होगी सावन होगा
सखियाँ होगी मधुबन होगा
दामिनी होगी और धन होगा
पुरवा होगी साजन होगा
राधा झूले पर बैठेगी
मनमोहन उन्हें झुलायेंगे
आशा रख पगली आएंगे।
दिलदार हमारे आएंगे
वो प्यार हमारे आएंगे
इकरार हमारे आएंगे
गमखार हमारे आएंगे
पलकों से राह बुहार सखी
नयनों में उसे सजायेंगे
आशा रख पगली आएंगे
क्यों धीरज खोये जाती हैं
क्यों मन को जलाये जाती है
हरि आएंगे प्रभु आएंगे