तुम सुनियो सन्त सुजान, गर्व नहीं करना रे।।
चार दिनों का रैन बसेरा, आखिर तोकु मरना है।।
तूँ जाने मेरी न्यू ए निभेगी।
हरदम लेखा भरना है।।चार दिनों का रैन बसेरा, आखिर तोकु मरना है।।तुम सुनियो सन्त सुजान, गर्व नहीं करना रे।।
चार दिनों का रैन बसेरा, आखिर तोकु मरना है।।
खाले पिले विलसले रे हंसा।
जोड़ जोड़ नहीं धरना रे।।चार दिनों का रैन बसेरा, आखिर तोकु मरना है।।तुम सुनियो सन्त सुजान, गर्व नहीं करना रे।।
चार दिनों का रैन बसेरा, आखिर तोकु मरना है।।
दास गरीब सकल में साहिब।
नहीं किसी से अड़ना है।।चार दिनों का रैन बसेरा, आखिर तोकु मरना है।।तुम सुनियो सन्त सुजान, गर्व नहीं करना रे।।
चार दिनों का रैन बसेरा, आखिर तोकु मरना है।।
गरीबदास मन धरै न हंसा।
अधर धार पंथ कबीरा रे।।चार दिनों का रैन बसेरा, आखिर तोकु मरना है।।तुम सुनियो सन्त सुजान, गर्व नहीं करना रे।।
चार दिनों का रैन बसेरा, आखिर तोकु मरना है।।