पधारो नाथ पूजा को हृदय मन्दिर सजाया है
तुम्हारे वास्ते आसन विमल मन का बिछाया है।
लिये जल नयन पात्रों में खड़े पग पद्म धोने को
पहन लो प्रेम का गजरा बहुत सुंदर सजाया है।।पधारो नाथ पूजा को हृदय मन्दिर सजाया है
तुम्हारे वास्ते आसन विमल मन का बिछाया है।
सजाई आरती हमने अमित अनुराग के स्वामी
नया नैवेद्य भावों का परम् रुचि कर बनाया है।।पधारो नाथ पूजा को हृदय मन्दिर सजाया है
तुम्हारे वास्ते आसन विमल मन का बिछाया है।
नहीं है वस्त्र आभूषण करूँ क्या देव मैं अर्पण
यही है हृदय की गाथा जिसे गाकर सुनाया है।।पधारो नाथ पूजा को हृदय मन्दिर सजाया है
तुम्हारे वास्ते आसन विमल मन का बिछाया है।
परिक्रमा कैसे कर दूँ मैं बहुत व्यापक हो घट घट में
दया करो नाथ भक्तो पर चरण शरणन जो आये हैं।।पधारो नाथ पूजा को हृदय मन्दिर सजाया है
तुम्हारे वास्ते आसन विमल मन का बिछाया है।