रो रो कहती सिया मेरे रामा पिया जल्दी आओ दुष्ट रावण से हमको बचाओ।
भेष धरके भिखारी का आया आके द्वारे पे अलख जगाया बोला मैं हूँ अली, भिक्षा ला माँ मेरी, जोगी आयो भूखे जोगी को भोजन कराओ, रो रो कहती सिया…
सीता देने को फल जब उठाए कपटी रावण ने वचन सुनाए लक्ष्मण रेखा पड़ी, तुम हो अंदर खड़ी, बाहर आओ बंधी भिक्षा ना लूं मात जाओ, रो रो कहती…
सीता रेखा निकल बाहर आई दुष्ट रावण ने पकड़ी कलाई
बोला फेंको ये फल, मैंने कीन्हा है छल, राम भुलाओ अब तो जोगी को अपना बनाओ, रो रो कहती…..
पेड़ पत्तों गवाही ये देना
राम आएं तो उनसे ये कहना कहना चोरी भई, सीता लंका गई, ढूंढ लाओ दुष्ट रावण से हमको बचाओ, रो रो कहती…
रो रो कहती सिया मेरे रामा पिया जल्दी आओ दुष्ट रावण से हमको बचाओ।