बाबा ज्योत पे आजा हो मैं बहोत घनी दुःख पाई
हो मैं बहोत घनी दुःख पाई।
तेरे नाम की बनी भगतनि दुनिया बोली मारे
मेरे मर्ज का वैद मिला ना घूम ली सु सारे।
बाबा ज्योत पे आजा हो मैं बहोत घनी दुःख पाई।
अगड पड़ोसन बाँझ बतावे भाग लिखा लिया ओला।एक लाल तू दे दे बाबा मिट जा सारा रोला।बाबा ज्योत पे आजा हो मैं बहोत घनी दुःख पाई।
पति मेरा से सादा भोला होया औलाद का तोडा।
सास मेरी ने हाथ पकड़ लिया देवरानी ने सर फोड़ा।बाबा ज्योत पे आजा हो मैं बहोत घनी दुःख पाई।
सारा कु नबा छोड मैं आई पाछे पड़ी देवरानी।
लुक लुक रोना पड़ गया हो गयी मुश्किल रात बितानी।बाबा ज्योत पे आजा हो मैं बहोत घनी दुःख पाई।
तू ना आया ते बाबा मैं तो जहर मंगा के पी लूं।
एक बेटे की भीख घाल दे मैं लाड लड़ा के जी लूं।बाबा ज्योत पे आजा हो मैं बहोत घनी दुःख पाई।
इतना काम बना दे बाबा फेर भँवर पे आऊँ।
नरेश पुनिया न्यू कह से मैं कौशिक ने बुलाऊँ।
बाबा ज्योत पे आजा हो मैं बहोत घनी दुःख पाई।