लुट गयी लुट गयी लुट गयी रे जिंदगानी भजन बिन लुट गयी गयी रे।
एक दिन सोचा था व्रत मैं करूँगी, मैं तो हलवा पूरी खा गयी रे जिंदगानी भजन बिन लुट गयी। लुट गयी लुट गयी लुट गयी रे जिंदगानी भजन बिन लुट गयी गयी रे।
एक दिन सोचा था सत्संग सुनूंगी, मैं तो ओढ़ रजाई सो गयी रे -ज़िंदगानी भजन बिन लुट गयी गयी रे।लुट गयी लुट गयी लुट गयी रे जिंदगानी भजन बिन लुट गयी गयी रे।
एक दिन सोचा था कीर्तन करूँगी, में तो चुगली में फस गयी रे जिंदगानी भजन बिन लुट गयी गयी रे ।लुट गयी लुट गयी लुट गयी रे जिंदगानी भजन बिन लुट गयी गयी रे।