दुनिया है जालीम बाबा सताती मुझे,
जब भी हूं उठता बाबा गिराती मुझे,
ऐतबार किसपे करू झुठा ये जहां
श्याम छोड़ चौखट तेरी जाऊं कहा,
भटका हूं दर दर बाबा यहाँ से वहाँ,
श्याम छोड़ चौखट तेरी जाऊं कहाँ।
बहते है आँसू मेरे कुछ ना कहे,
जीवन के दुखडे बाबा हस कर सहे
छाये घटाये काली अंधेरा घना
श्याम छोड़ चौखट तेरी जाऊं कहाँ।
दास विनायक बाबा मांगे तेरा साथ,
खाटू के नरेश आकर थामो मेरा हाथ ओ
खता क्या हुई है बाबा हुआ क्या गुनाह
श्याम छोड़ चौखट तेरी जाऊं कहाँ।
दुनिया है जालीम बाबा सताती मुझे,
जब भी हूं उठता बाबा गिराती मुझे,
ऐतबार किसपे करू झुठा ये जहां
श्याम छोड़ चौखट तेरी जाऊं कहा,
भटका हूं दर दर बाबा यहाँ से वहाँ,
श्याम छोड़ चौखट तेरी जाऊं कहाँ।