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श्याम भजन लिरिक्स

Insaf ka dar hai tera yahi soch ke aata hu,इंसाफ का दर है तेरा यही सोच के आता हूँ,shyam bhajan

इंसाफ का दर है तेरा, यही सोच के आता हूँ



तर्ज होंठों से छू लो

इंसाफ का दर है तेरा, यही सोच के आता हूँ, हर बार तेरे दर से, खाली ही जाता हूँ, इंसाफ का दर हैं तेरा, यही सोच के आता हूँ।।



आवाज लगाता हूँ, क्यूँ जवाब नहीं मिलता, दानी हो सबसे बड़े, मुझको तो नहीं लगता, शायद किस्मत में नहीं, दिल को समझाता हूँ, इंसाफ का दर हैं तेरा, यही सोच के आता हूँ। ।

जज्बात दिलों के प्रभु, धीरे से सुनाता हूँ, देखे ना कहीं कोई, हालात छुपाता हूँ, सब हँसते है मुझ पर, मैं आंसू बहाता हूँ, इंसाफ का दर हैं तेरा, यही सोच के आता हूँ। ।

दीनों को सताने का, अंदाज पुराना है, देरी से आने का, बस एक बहाना है, खाली जाने से प्रभु, दिल में शर्माता हूँ, इंसाफ का दर हैं तेरा, यही सोच के आता हूँ।।



हैरान हूँ प्रभु तुमने, दुखियों को लौटाया है, फिर किसके लिए तुमने, कुछ समझ ना पाता हूँ, इंसाफ का दर हैं तेरा, यही सोच के आता हूँ।।

इंसाफ का दर है तेरा, यही सोच के आता हूँ।इंसाफ का दर है तेरा, यही सोच के आता हूँ, हर बार तेरे दर से, खाली ही जाता हूँ, इंसाफ का दर हैं तेरा, यही सोच के आता हूँ।।

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