मन पे मेल चढ़ाया रे पगले क्यों मांजे इस तन ने।पगले क्यों मांजे इस तन ने।पगले क्यों मांजे इस तन ने।मन पे मेल चढ़ाया रे पगले क्यों मांजे इस तन ने।
मन जोबन और कंचन काया। सदा रहे ना धन और माया। रहेगा धरा धराया रे,पगले क्यों मांजे इस तन ने।मन पे मेल चढ़ाया रे पगले क्यों मांजे इस तन ने।
हाथ की माया तोड़ बागा दे। चंचल मन ने राह पे ला दे। खूनी शेर बताया रे, पगले क्यों मांजे इस तन ने।मन पे मेल चढ़ाया रे पगले क्यों मांजे इस तन ने।
मात पिता बंधु सूत नारी। तोड़े इनकी बनी है यारी। यार ने खेल खिलाया रे, पगले क्यों मांजे इस तन ने।मन पे मेल चढ़ाया रे पगले क्यों मांजे इस तन ने।
उसके तार ते तार मिला ले, दया धर्म की ध्वजा उठा ले। यह डूलती फिरती छाया रे, पगले क्यों मांजे इस तन ने।मन पे मेल चढ़ाया रे पगले क्यों मांजे इस तन ने।
उसकी रजा में रहना राजी। बात मान कदे हार ना पासी। यह सब उसकी छाया रे, पगले क्यों मांजे इस तन ने।मन पे मेल चढ़ाया रे पगले क्यों मांजे इस तन ने।