कितने वादें करके भगवन, पाया तुमसे मानव का तन, मैंने वो निभाए है की नहीं, ना बोलो तो अच्छा होगा, मेरे गुण अवगुण को पलडे में, ना तोलो तो अच्छा होगा।
मेरे पापों मेरे पुण्यों का, अच्छे या बुरे सब कर्मों का, है तेरे पास हिसाब मगर, ना जोड़ो तो अच्छा होगा, मेरे गुण अवगुण को पलडे में, ना तोलो तो अच्छा होगा ।
ना सेवा की ना पूजा की, फिर भी तुमसे है आस लगी, ‘सोनू’ ये झूठा भरम सही, ना तोड़ो तो अच्छा होगा, मेरे गुण अवगुण को पलड़े में, ना तोलो तो अच्छा होगा।
मेरे गुण अवगुण को पलड़े में, ना तोलो तो अच्छा होगा, मेरे सिर पे गगरिया पापों की, ना खोलो तो अच्छा होगा, मेरे गुण अवगुण को पलडे में, ना तोलो तो अच्छा होगा।