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Pawansut ram se kahna tumhe Sita bulati hai,पवनसुत राम से कहना तुम्हे सीता बुलाती है,

पवनसुत राम से कहना, तुम्हे सीता बुलाती है

(तर्ज- सजा दो घर को गुलशन सा )



पवनसुत राम से कहना, तुम्हे सीता बुलाती है तुम्हारी याद में हर दम वहां आंसू बहाती है।



चूडामणी दे देना, राम को जाकर कह देना। ये सुंदर चांदनी चन्दा, हमे कुछ न सुहाती है।तुम्हारी याद में हर दम वहां आंसू बहाती है। पवनसुत राम से कहना, तुम्हे सीता बुलाती है।



पवनसुत राम से कहना, तुम्हे सीता बुलाती है तुम्हारी याद में हर दम, वहां आंसू बहाती है।



विधना ने कैसा लेख लिख दीना, जो दुःख पाई इस जीवन मे ।आ करके विरह की जाल में फँसकर, यहाँ तन को जलाती हु।तुम्हारी याद में हर दम वहां आंसू बहाती है। पवनसुत राम से कहना, तुम्हे सीता बुलाती है।



पवनसुत राम से कहना, तुम्हे सीता बुलाती है तुम्हारी याद में हर दम वहां आंसू बहाती है।



कहे सीता सुनो हनुमंत, सुनो कुछ ध्यान देकर के। कलम देखो रुकी हो मेरी, श्रीराम की याद आती है।



पवनसुत राम से कहना, तुम्हे सीता बुलाती है तुम्हारी याद में हर दम, वहां आंसू बहाती है।

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