तर्ज, तूं तो पीले मदन गोपाल
मेरे मन में गयो री समाई बिरज को राजा दाऊजी।
भयों सबेरो नौबत बाजी जागे दाऊ दयाल। नर नारी दर्शन को आए हो रही जय जय कार,बिरज को राजा दाऊजी।मेरे मन में गयो री समाई बिरज को राजा दाऊजी।
कोरे कोरे कलर्स भराई नाम है दाऊ दयाल। तेल फुलेल सेंट जो छिड़के एसो है दाऊ दयाल,बिरज को राजा दाऊजी।मेरे मन में गयो री समाई बिरज को राजा दाऊजी।
सिर पर मुकुट कान में कुंडल गर् बैजंती माल। ठोड़ी पे जाके हीरा चमके मुखड़े में नागर पान, बिरज को राजा दाऊजी।मेरे मन में गयो री समाई बिरज को राजा दाऊजी।
हाथ में कड़ा कमर कौंधनी, गल हीरों का हार।मुकुट में जिनके मोती लटके,छाई है अजब बहार,बिरज को राजा दाऊजी।मेरे मन में गयो री समाई बिरज को राजा दाऊजी।
मंदिर पीछे ताल खुदाए नहावे नर और नार। भादो में जब मेला लागे, हो रही भीड़ अपार, बिरज को राजा दाऊजी।मेरे मन में गयो री समाई बिरज को राजा दाऊजी।
माखन मिश्री को भोग लगे हैं, और चकाचक माल। नर नारी दर्शन को आए हो रही भीड़ अपार,बिरज को राजा दाऊजी।मेरे मन में गयो री समाई बिरज को राजा दाऊजी।