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निर्गुण भजन nirgun Bhajan

Ekdin Khali karni padsi re Kaya kothadi bhada ki,एक दिन खाली करनी पड़सी रे काया कोटडी भाड़ा की,nirgun Bhajan

एक दिन खाली करनी पड़सी रे, काया कोटडी भाड़ा की ।

एक दिन खाली करनी पड़सी रे, काया कोटडी भाड़ा की ।



क्यों मन में तू इतनो फूले नहीं, यह तेरा घर क्यों भूले। नहीं तो धनी मुकदमों लड़सी रे, काया कोटडी भाड़ा की । एक दिन खाली करनी पड़सी रे, काया कोटडी भाड़ा की ।

पंच तत्वों की समझ अमानत, नहीं तो होगी जपत जमानत । जब न्याय अदालत करसी रे, काया कोटडी भाड़ा की। एक दिन खाली करनी पड़सी रे, काया कोटडी भाड़ा की ।



तेरा अभिमान बड़ी बेईमानी, सब दोसो की मूल निशानी । यमदूत हाड़ थारा गड़सी रे, काया कोटडी भाड़ा की । एक दिन खाली करनी पड़सी रे, काया कोटडी भाड़ा की। टेर ।

नाती गोती कुटुंब कबीला, काया कोटडी की सब लीला। जो सब पल माई बिछड़सी रे, कया कोटड़ी भाड़ा की। एक दिन खाली करनी पड़सी रे, काया कोटडी भाड़ा की । टेर ।

नाती गोती कुटुंब कबीला, काया कोटडी की सब लीला , जो सब पल माई बिछड़सी रे, कया कोटड़ी भाड़ा की । एक दिन खाली करनी पड़सी रे, काया कोटडी भाड़ा की ।



भारती पूरण पुरुषार्थ कीजे, सेवा बंदगी करतो रिजे। नहीं तो माथे किरायो चड़सी रे, काया कोटडी भाड़ा की । एक दिन खाली करनी पड़सी रे, काया कोटडी भाड़ा की।

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