करो चाहे लाख चतुराई,
उसी घर सबको जाना है,
करो चाहे लाख चतुराई,
उसी घर सबको जाना है,
उसी घर हमको जाना है,
उसी घर तुमको जाना है,
ना हाथी हैं ना घोड़े हैं,
वहां पैदल ही जाना है।
लड़कपन खेल में खोया,
जवानी नींद भर सोया,
लड़कपन खेल में खोया,
जवानी नींद भर सोया,
बुढ़ापा देखकर रोया,
उसी घर सबको जाना है।
बुढ़ापा देखकर रोया,
उसी घर सबको जाना है।
करो चाहे लाख चतुराई,
उसी घर तुमको जाना है,
ना हाथी हैं ना घोड़े हैं,
वहां पैदल ही जाना है।
पलंग के चार पाए हैं,
फरिश्ते लेने आए हैं,
संभल कर ले चलो भाई,
रोये बाप और भाई,
करो चाहे लाख़ चतुराई,
उसी घर तुमको जाना है,
ना हाथी हैं ना घोड़े हैं,
वहां पैदल ही जाना है।
ओ टूटी आम की डाली,
रोया बाग़ का माली,
बगीचा कर चला खाली,
उसी घर सबको जाना है,
बगीचा कर चला खाली,
उसी घर सबको जाना है,
करो चाहे लाख चतुराई,
उसी घर तुमको जाना है,
ना हाथी हैं ना घोड़े हैं,
वहां पैदल ही जाना है।
ना बेटा है, ना बेटी है,
यहां पर कौन तेरा है,
ये दुनिया दो दिन का मेला,
यहां पर आना जाना है।
करो चाहे लाख चतुराई
उसी घर तुमको जाना है,
ना हाथी हैं ना घोड़े हैं,
वहां पैदल ही जाना है।
बना है कांच का मंदिर,
उसी में भगवान रहते हैं,
वो लेकर पैन और स्याही,
मुक्कदर सबका लिखते हैं।
करो चाहे लाख चतुराई
उसी घर सबको जाना है।
करो चाहे लाख चतुराई,
उसी घर सबको जाना है,
करो चाहे लाख चतुराई,
उसी घर सबको जाना है,
उसी घर हमको जाना है,
उसी घर तुमको जाना है,
ना हाथी हैं ना घोड़े हैं,
वहां पैदल ही जाना है।