जाएगी लाज तिहारी नाथ मेरो क्या बिगड़े।जायेगी लाज तुम्हारी नाथ मेरो कहा बिगडे ।
भूमि विहीन पाण्डव सुत बैठे कहिये न पैख प्रबल पारथ की, भीम गदा महि डारी
नाथ मेरो कहा बिगडे ।जाएगी लाज तिहारी नाथ मेरो क्या बिगड़े।
सूर समूह भूप सब बैठे, बड़े बड़े वृतधारी। भीष्म द्रोण कर्ण दुषाशन, जिन्होंने आपत डारी, नाथ मेरो कहा बिगडे।जाएगी लाज तिहारी नाथ मेरो क्या बिगड़े।
तुम तो दीनानाथ कहावत में अति दीन दुखारी, जैसे जल बिन मीन जो तडपे, सोई गति भई हमारी, नाथ मेरो कहा बिगडे ।जाएगी लाज तिहारी नाथ मेरो क्या बिगड़े।
हम पति पाँच, पांचन के तुम पति, मो पति काहे बिसारी। सूर स्याम पाछे पछितहिये, कि जब मुझे देखो उधारी। नाथ मेरो कहा बिगडे ।जाएगी लाज तिहारी नाथ मेरो क्या बिगड़े।