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विविध भजन

Kanhaiya ajab likhi takdir,कन्हैया अजब लिखी तकदीर,

कन्हैया अजब लिखी तकदीर,

कन्हैया अजब लिखी तकदीर,
होना था अभिषेक राम का, वन को गए रघुवीर।कन्हैया अजब लिखी तकदीर,



हरिश्चंद्र था दानी दाता, खाली ना कोई द्वार से जाता। किस्मत ने क्या खेल रचाया, बन गए आज फकीर कन्हैया अजब लिखी तकदीर,कन्हैया अजब लिखी तकदीर,



नीर भरण श्रवण जब पहुंचे, लागा तीर प्राण तब छूटे ।
अंत समय में मात पिता को पिला सका ना नीर।कन्हैया अजब लिखी तकदीर,कन्हैया अजब लिखी तकदीर,


द्रोपदी पांच पतिन की नारी, सब ने नीचे गर्दन डारी । भरी सभा में लाज उतारी, कृष्ण बड़ा रहे चीर ॥कन्हैया अजब लिखी तकदीर,कन्हैया अजब लिखी तकदीर,

कन्हैया अजब लिखी तकदीर,
होना था अभिषेक राम का, वन को गए रघुवीर।कन्हैया अजब लिखी तकदीर,

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