आप आए नहीं और सुबह हो गई। मेरी पूजा की थाली धरी रह गई। भोग रखा रहा फूल मुरझा गए। आरती भी धरी की धरी रह गई।
हमसे रूठे हो क्यों आप आते नहीं ।मेरा अपराध क्या है बताते नहीं। रोते रोते मेरी सांसे रुकने लगी। क्या बुलाने में मेरी कमी रह गई। आप आए नहीं और सुबह हो गई। मेरी पूजा की थाली धरी रह गई।
ज्ञान भी हो गया ध्यान भी हो गया। फिर भी दर्शन की आशा धरी रह गई ।इतना होते हुए मै समझ ना सकी। कौनसी भावना में कमी रह गई।आप आए नहीं और सुबह हो गई। मेरी पूजा की थाली धरी रह गई।
आप आए नहीं और सुबह हो गई। मेरी पूजा की थाली धरी रह गई। भोग रखा रहा फूल मुरझा गए। आरती भी धरी की धरी रह गई।