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विविध भजन

Maine liya na hari ka naam budhapa beri aa gaya,मैंने लिया ना हरी का नाम बुढ़ापा बैरी आ गया,

मैंने लिया ना हरी का नाम बुढ़ापा बैरी आ गया

मैंने लिया ना हरी का नाम बुढ़ापा बैरी आ गया। मेरे नैनों से बरसे नीर बुढ़ापा बेरी आ गया।



कल तक थी में छैल छबीली, अब हो गई नस ढीली। मेरी धीमी पड़ गई चाल, बुढ़ापा बेरी आ गया।मैंने लिया ना हरी का नाम बुढ़ापा बैरी आ गया।



थोड़ी-थोड़ी माया जोड़ी बन गए महल दुमहल्ले।’मेरी अंगना में डाली खाट, बुढ़ापा बेरी आ गया।मैंने लिया ना हरी का नाम बुढ़ापा बैरी आ गया।


घर के तो सब माल उड़ावे भूखी पड़ी खाट पे हैं।
मेरी थाली में सूखे टुकड़े, बुढ़ापा बेरी आ गया।मैंने लिया ना हरी का नाम बुढ़ापा बैरी आ गया।

पांच भैंस मेरे घर में बंध रही देवें भर भर दूध।
मेरी चाय पर हो रही तकरार बुढ़ापा बेरी आ गया।

बेटा आया पूछे मैया क्यों तू आज उदास ।बेटा मेरी कदहोती नाय बुढ़ापा बेरी आ गया।मैंने लिया ना हरी का नाम बुढ़ापा बैरी आ गया।




बेटा सोचे कैसे कहूं मैं गोरी से ये बात। जैसी मिले वैसी ही काबुढ़ापा बेरी आ गया।मैंने लिया ना हरी का नाम बुढ़ापा बैरी आ गया।

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