मैंने लिया ना हरी का नाम बुढ़ापा बैरी आ गया। मेरे नैनों से बरसे नीर बुढ़ापा बेरी आ गया।
कल तक थी में छैल छबीली, अब हो गई नस ढीली। मेरी धीमी पड़ गई चाल, बुढ़ापा बेरी आ गया।मैंने लिया ना हरी का नाम बुढ़ापा बैरी आ गया।
थोड़ी-थोड़ी माया जोड़ी बन गए महल दुमहल्ले।’मेरी अंगना में डाली खाट, बुढ़ापा बेरी आ गया।मैंने लिया ना हरी का नाम बुढ़ापा बैरी आ गया।
घर के तो सब माल उड़ावे भूखी पड़ी खाट पे हैं।
मेरी थाली में सूखे टुकड़े, बुढ़ापा बेरी आ गया।मैंने लिया ना हरी का नाम बुढ़ापा बैरी आ गया।
पांच भैंस मेरे घर में बंध रही देवें भर भर दूध।
मेरी चाय पर हो रही तकरार बुढ़ापा बेरी आ गया।
बेटा आया पूछे मैया क्यों तू आज उदास ।बेटा मेरी कदर होती नाय बुढ़ापा बेरी आ गया।मैंने लिया ना हरी का नाम बुढ़ापा बैरी आ गया।
बेटा सोचे कैसे कहूं मैं गोरी से ये बात। जैसी मिले वैसी ही काट बुढ़ापा बेरी आ गया।मैंने लिया ना हरी का नाम बुढ़ापा बैरी आ गया।