आय मानखे सोय रयो रे, गहरी गहरी निंद्रा लेता। जुग भव अलप सब माया, चेतन क्यों नहीं होता। जुग में कायम कुण नर रहता
चेत चेत म्हारा मन रे दीवाना, पीछे फेरा क्यों नी देता। जुग में कायम कुण नर रहता ।
सुता सुता थारी आयु घटत है, उमर ओछी होता। पल पल में कालिंगो कोपे, ऊपर घेरा देता। में जुग में कायम कुण नर रहता।
बड़ा बड़ा बलवन्ती जोधा, मुछा रे वट देता। भांग दी भुजा तोड़ दिया माथा, कायम काट दिया खाता। जुग में कायम कुण नर रहता।
थारी म्हारी में खलक सब खपियो, खोज खबर नहीं पाता। भजन करो गुरदेव रा रे, भरम करम मिट जाता। में जुग में कायम कुण नर रहता।
अखे नाम किरतार रो रहसी, उण मालिक री सत्ता । खोज कर ले देख ले प्राणी देह झारी गल जाता में जुग में कायम कुण नर रहता ।
कहे राजाराम सुणो मेरे बंधव, जाग्या सो नर जीता। जाग्या नर परम पद पाया, मूरख रह गया रीता । जुग में कायम कुण नर रहता।