बन्दा थारी नींदड़ली ने निवार, ओ तो जग झूठो है संसार । उगे सो ही आथमे जी फूले सो कुम्हलाय । चुणिया देवळ ढह पड़े जी, जनमे सो मर जाय, ओ तो जग झूठो है संसार ॥
सोने रागढ़ कांगरा जी, रूपेरा घर बार रति एक सोनो नहीं मिल्यो रे, रावण मरती वार । ओ तो जग झूठो है संसार ॥ बन्दा थारी नींदड़ली । …..
हाथां पर्वत तोलता जी, ज्यांरो भूमि ना खिंवती भार वे माणस माटी मिल्या रे, ज्यांरा भांडा घड़े रे कुम्हार ओ तो जग झूठो है संसार । बन्दा थारी नींदड़ली ….
सेर – सेर सोनो पहरती जी, मोत्यां मरती भार घड़ियक झोलो वाजियो हो गई, घर घर री पणियार । ओ तो जगझूठो है संसार । बन्दा थारी नींदड़ली। .
बन्दा थारी नींदड़ली ने निवार, ओ तो जग झूठो है संसार । उगे सो ही आथमे जी फूले सो कुम्हलाय । चुणिया देवळ ढह पड़े जी, जनमे सो मर जाय, ओ तो जग झूठो है संसार ॥