तर्ज- धीरे धीरे बोल कोई
श्यामधणी मैं के मांगू, के मांगू मैं के मांगू, थारे टाबरिया की फ़ौज है, तू है तो म्हारी मौज है, श्याम धणी मैं के माँगू, मांगू मैं के मांगू।
मांगण की नाईब कोई दरकार, जबसे अपने बाबा की सरकार, दातार ये, दिलदार ये, दातार ये, दिलदार ये, ईब मिट गई म्हारी खोज है, तू है तो म्हारी मौज है, श्यामधणी मैं के माँगू, मांगू मैं ।
म्हारे में ही होगा कोई खोट, जो ना ली थी श्याम चरण की ओट, इबके कहाँ, मस्ती में हाँ, इबके कहाँ, मस्ती में हाँ, अब श्याम कृपा हर रोज है, तू है तो म्हारी मौज है, श्यामधणी मैं के माँगू, मांगू मैं मां।
ये उपकार गिनाए ना जाए, ये अहसान भुलाए ना जाए, पंकज सदा, सिर को झुका, पंकज सदा, सिर को झुका, अब दिल पे ना कोई बोझ है, तू है तो म्हारी मौज है, श्यामधणी मैं के माँगू, मांगू मैं मां।
श्याम धणी मैं के मांगू, मांगू मैं के मांगू, थारे टाबरिया की फ़ौज है, तू है तो म्हारी मौज है, श्यामधणी मैं के माँगू, के मांगू मैं के मांगू।