तर्ज,सावन का महीना
हम दादी के लाडले,
हम पर किसका जोर,
पल पल रक्षा करती माँ,
ये सतियों की सिरमौर,
हम दादी के लाडले,
हम पर किसका जोर।
संकट आए जीवन में चाहे,
चाहे छाये हो गम के बादल,
हर संकट को दूर भगाए,
माँ की ममता का आँचल,
दादी जी साथ है अपने,
जब छाए घटा घनघोर,
हम दादी के लाडले,
हम पर किसका जोर।
जब जब मन घबराए अपना,
दादी दादी रटते हैं,
जैसे जैसे जाप बड़े तो,
कष्ट हमारे घटते हैं,
है अटल भरोसा इन पर,
हम देखे इन की ओर,
हम दादी के लाडले,
हम पर किसका जोर।
बिठा दिया है माँ ने फलक पे,
ख़ाक से उठा करके,
लाड लड़ाती मैया अपनी,
गोदी में बिठा करके,
माँ बंधी रहे सुनील की
तुम से ये उज्वल डोर,
हम दादी के लाडले,
हम पर किसका जोर।
हम दादी के लाडले,
हम पर किसका जोर,
पल पल रक्षा करती मां,
ये सतियो की सिरमौर,
हम दादी के लाड़ले,
हम पर किसका जोर।