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विविध भजन

Me hara me hara mujhe de do nath sahara,मैं हारा मैं हारामुझे दे दो नाथ सहाराहार गया हूं भटक भटक करकोई नहीं हमारा हमारा,

मैं हारा मैं हारा
मुझे दे दो नाथ सहारा
हार गया हूं भटक भटक कर
कोई नहीं हमारा हमारा




तर्ज – रखवाला प्रतिपाला

मैं हारा मैं हारा
मुझे दे दो नाथ सहारा
हार गया हूं भटक भटक कर
कोई नहीं हमारा हमारा




मांग नहीं है तुमसे कुछ भी
बस चरणों में बिठा लो
रोते-रोते आया हूं दर पर
मुझ को जरा हंसा दो
अगर पोछ दोगे मेरे आंसू,
कुछ न घटेगा तुम्हारा तुम्हारा।

मैं हारा मैं हारा
मुझे दे दो नाथ सहारा
हार गया हूं भटक भटक कर
कोई नहीं हमारा हमारा



माना मैं हूँ पतित अधर्मी
लाखो पाप किये हैं
लेकिन तूने जाने कितने
पापी माफ किए हैं
फिर क्यों मेरी बारी दाता
तू ने पल्ला झाड़ा ओ झाड़ा

मैं हारा मैं हारा
मुझे दे दो नाथ सहारा
हार गया हूं भटक भटक कर
कोई नहीं हमारा हमारा



अब तो मेरा हाथ पकड़लो
बात मेरी मत टालो
हाथ से बात निकल ना जाए
जल्दी श्याम संभालो
बाद में मुझको दोष ना देना
हंसेगा जग जब सारा ओ सारा।

मैं हारा मैं हारा
मुझे दे दो नाथ सहारा
हार गया हूं भटक भटक कर
कोई नहीं हमारा हमारा



दीन हीन के हाल पर माधव
गर तू मौन रहेगा
सोच जरा हारे का सहारा
तुझको कौन कहेगा
कौन लगाएगा वरना इस
नाम से फिर जयकारा जयकारा।

मैं हारा मैं हारा
मुझे दे दो नाथ सहारा
हार गया हूं भटक भटक कर
कोई नहीं हमारा हमारा

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