तर्ज,वो जब याद आए।
भजन के बिना तूने,ये जीवन गंवाया, कभी ये ना सोचा कि, इस जग में आकर, क्या तूने खोया, क्या तूने पाया, भजन के बिना तूनें, ये जीवन गंवाया ।
जिसने दी ज़िन्दगी, उसने सब कुछ दिया, भूलकर ना कभी. नाम उसका लिया, हरि नाम के बिन, नही कोई दूजा, हरि नाम के बिन, नही कोई दूजा, तेरा साथ छोड़ेगा, तेरा ही साया, भजन के बिना तनें ये जीवन गंवाया ।
मोह माया के बंधन,ये जीवन गवाया ।
में है तू फंसा, ना कभी सोचता,क्या बुरा क्या भला,सभी जानता है,
मगर जानकर भी, सभी जानता है,
मगर जानकर भी,की अमृत समझकर, ‘अमृत जहर तूने खाया, भजन के बिना तूनें,
ये जीवन गंवाया।
भजन के बिना तूने,ये जीवन गंवाया, कभी ये ना सोचा कि, इस जग में आकर, क्या तूने खोया, क्या तूने पाया, भजन के बिना तूनें, ये जीवन गंवाया ।